Wanderer's Diary

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"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Sunday, August 21, 2011

आवारगी और खालीपन है इस ज़िन्दगी में..

न कशिश न कोई तलब है इन नाकामियों में
आवारगी और खालीपन है इस ज़िन्दगी में...

वक़्त यूँ कटता लेके करवटें जैसे कि तूफ़ान
रह जाता है कारवां ए अंजाम मेरा राहों में..

उम्मीद न रही अब मुकम्मल सरहदों कि
रह गया हूँ खोकर कहीं इन गर्दिशों में...

न करीब है मंजिल कोई इस शहरे हयात में
बेनाम मुसाफिर से भटकते हैं खोये ख्यालों में..

Thursday, August 18, 2011

खिलते हुए इन उजालों में इक सवेरा हो तुम



खिलते हुए इन उजालों में इक सवेरा हो तुम
शीत की नमी सी ओझल एक पल हो तुम..
दूर किसी कायनात में हुई होगी बसर तुम्हारी 
पर आज मेरे मन का झरोखा हो तुम ...


बरखा की सदाओं में या उन सोख अदाओं में
किसी ग़ज़ल की कशिश या इक नगमा हो तुम..
जो देखूं तारों के ज़मात को या नीले आसमान को
लगता है मेरे ख्वाबों का दायरा हो तुम..


आज खोल दी जो बाहें मैंने
ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है...
खुश्क इन फिजाओं में मौसिकी
सूरज की किरणे खिलने लगी है...

जो पल गुजरा सिखा गया है कुछ
अब आने वाला पल संवरने लगा है...
धूं धूं कर जलता था कभी सीना
नई उमंगो में खिलने लगा है...

Tuesday, August 9, 2011

वक़्त की मिजान है दोस्ती

शीत सी शीतल पाखी सा माझिल
दो दिलों की दास्ताँ है दोस्ती...
कभी कशिश तो कभी तलब है
तो कभी तलबगार है दोस्ती..

मतलब की इस दुनिया से परे
अनबुझे लम्हों की बयां है दोस्ती
गुजरा कल आज की जुबान
और आने वाले पल की कहानी
वक़्त की मिजान है दोस्ती

चाँद भी कायल है जिस रिश्ते
का उसका नाम है दोस्ती
हर एहसास सा है मेरे दिल में तमिल
मेरे जीने का अरमान है दोस्ती