Wanderer's Diary

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"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Tuesday, August 9, 2011

वक़्त की मिजान है दोस्ती

शीत सी शीतल पाखी सा माझिल
दो दिलों की दास्ताँ है दोस्ती...
कभी कशिश तो कभी तलब है
तो कभी तलबगार है दोस्ती..

मतलब की इस दुनिया से परे
अनबुझे लम्हों की बयां है दोस्ती
गुजरा कल आज की जुबान
और आने वाले पल की कहानी
वक़्त की मिजान है दोस्ती

चाँद भी कायल है जिस रिश्ते
का उसका नाम है दोस्ती
हर एहसास सा है मेरे दिल में तमिल
मेरे जीने का अरमान है दोस्ती

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