Wanderer's Diary

Welcome to Wanderer's Diary blog its a pleasure and joyful ride to have you all blogers and net surfers stay in touch and keep posting your opinions and if you wish to share anything most welcome...........

"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Thursday, September 22, 2011

Deep down the blue sky
My heart is beating by....

M Holding Thats why...
Rounds of violet n Butterfly

Makes me think of You n I....
Lots of zeal in my eye

Veins are saying Hello Hi...
Dreams of fleeing very high

Beyond regrets and clarify..
M holding Thats why...

Sunday, August 21, 2011

आवारगी और खालीपन है इस ज़िन्दगी में..

न कशिश न कोई तलब है इन नाकामियों में
आवारगी और खालीपन है इस ज़िन्दगी में...

वक़्त यूँ कटता लेके करवटें जैसे कि तूफ़ान
रह जाता है कारवां ए अंजाम मेरा राहों में..

उम्मीद न रही अब मुकम्मल सरहदों कि
रह गया हूँ खोकर कहीं इन गर्दिशों में...

न करीब है मंजिल कोई इस शहरे हयात में
बेनाम मुसाफिर से भटकते हैं खोये ख्यालों में..

Thursday, August 18, 2011

खिलते हुए इन उजालों में इक सवेरा हो तुम



खिलते हुए इन उजालों में इक सवेरा हो तुम
शीत की नमी सी ओझल एक पल हो तुम..
दूर किसी कायनात में हुई होगी बसर तुम्हारी 
पर आज मेरे मन का झरोखा हो तुम ...


बरखा की सदाओं में या उन सोख अदाओं में
किसी ग़ज़ल की कशिश या इक नगमा हो तुम..
जो देखूं तारों के ज़मात को या नीले आसमान को
लगता है मेरे ख्वाबों का दायरा हो तुम..


आज खोल दी जो बाहें मैंने
ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है...
खुश्क इन फिजाओं में मौसिकी
सूरज की किरणे खिलने लगी है...

जो पल गुजरा सिखा गया है कुछ
अब आने वाला पल संवरने लगा है...
धूं धूं कर जलता था कभी सीना
नई उमंगो में खिलने लगा है...

Tuesday, August 9, 2011

वक़्त की मिजान है दोस्ती

शीत सी शीतल पाखी सा माझिल
दो दिलों की दास्ताँ है दोस्ती...
कभी कशिश तो कभी तलब है
तो कभी तलबगार है दोस्ती..

मतलब की इस दुनिया से परे
अनबुझे लम्हों की बयां है दोस्ती
गुजरा कल आज की जुबान
और आने वाले पल की कहानी
वक़्त की मिजान है दोस्ती

चाँद भी कायल है जिस रिश्ते
का उसका नाम है दोस्ती
हर एहसास सा है मेरे दिल में तमिल
मेरे जीने का अरमान है दोस्ती

Wednesday, July 20, 2011

शुक्रिया उपरवाले और ज़िन्दगी तेरी नेमतों का..

♥♥̲̅̅H̲̲̅̅̅A̲̲̅̅̅P̲̲̅̅̅​P̲̲̅̅̅Y̲̅ ̲̅̅B̲̲̅̅̅I̲̲̅̅̅R̲̲̅̅̅T̅​̲̲̅̅H̲̲̅̅̅D̲̲̅̅̅A̲̲̅̅̅​Y̲̅♥♥

आया था पल सुहाना लेके दिन दीवाना..
हुई महसूस कुछ ख़ुशी इन गुजरे पलों में
लगा बेहतर हमें इब्तेदा यूँ मुस्कुराना
शुक्रिया आप सभी का दिया जो ये नजराना...


अब के सावन ये जो मेरे साथ हुई है
पलकें खुली और आगाज़ हुई है..

दिन था इस दुनिया में आने का
सुबह ही यादों की बरसात हुई है..

कुछ यार थे कुछ रह गए राहों में
गुजरते सालों में कुछ खास हुआ है..

सपने न हुए मेरे हकीकत तो क्या...
उन सपनो को जीने की आदत हुई है..

आज गर किसी का है तो कल मेरा भी होगा..
उम्मीद ही सही इबादत हुआ है..



किसी ने खूब कहा है तू ही बता ज़िन्दगी मैं कैसे तुझे अपने प्यार के दायरे में समो कर रखूं जो की तेरी हर सुबह जीने के एक दिन कम कर देती है..उम्र के २५वें बसंत में आने की ख़ुशी साथ ही गुजरे लम्हों की खलिश भी है उन्हें और जीने के लिए...शुक्रिया उपरवाले और ज़िन्दगी तेरी नेमतों का..


आया था पल सुहाना लेके दिन दीवाना..
हुई महसूस कुछ ख़ुशी इन गुजरे पलों में
लगा बेहतर हमें इब्तेदा यूँ मुस्कुराना
शुक्रिया आप सभी का दिया जो ये नजराना..

Tuesday, July 12, 2011

दरिया की सरहदें तोड़ो, सुकून को रास्ते बनाने दो..

दर्द की खलिश और बेबसी टूटे रिश्तों को जोड़ देती है..
गोयाकि रिश्ते टूटने से दर्द होता है और दर्द रिश्ते जोड़ भी देता है!!
मनुष्य मन से बड़ा कोई अजायबघर नहीं, जहां कब तस्वीरें,
आईने और मूर्तियां टूट जाती हैं और कब जुड़ जाती हैं। संवेदना से बड़ा कोई फेवीकोल नहीं!!
























चिमनियों सी ज़िन्दगी को अब तो सांस आने दो
दरिया की सरहदें तोड़ो, सुकून को रास्ते बनाने दो..

या मुझसे आकर पूछ लो दायरे मेरी हदों के
या मेरी तड़प को अपने सीने में समाने दो...

ये बड़प्पन है या कोई बेबसी जो रह रह के पीता है
जरा आँखों की गठरी खोल जो आता है आने दो..

हर आसमान से पहले माँ का आंचल है
इसे छु कर वजू कर लें मंजिल पे जाने को..

तुमको भी कोई चूमेगा राहों में तेरी बिछकर
एक बार ज़रा दुनिया को  हौले से गुज़र जाने दो..

दहलीज़ दिये सी जलती है सीने से लगा लो
या फिर बारिश को ज़रा अपना पैगाम सुनाने दो...


Friday, July 8, 2011

तनहा उनकी यादों में शाम हो गया.....

मुद्दतों मै इंतज़ार करता रह गया
वो आए भी दर को हमारे..रहे बेगाने
हिज्र के अंधेरों में उन्हें पुकारता रह गया.....


उल्फत ए ग़म इतने नासूर थे मेरे की
फर्क नहीं पड़ा उनके दिलाशों का
तनहा उनकी यादों में शाम हो गया.....



अब के बरस आलम कुछ ऐसा है की
उम्मीद का सूरज उगता नहीं
सुर्ख काली ये रात कटती नहीं
अन्हद आँखों से सावन बरसता रह गया...

Sunday, July 3, 2011

कैसे कहें इब्तेदा यूँ मोहब्बत होने लगी है..

रोशन तेरी नजरों से सदायें आने लगी है
तन्हा इन राहों से कोई गुजरने लगी है..
संग शबनमी झोंको के बारिश होने लगी है
कैसे कहें इब्तेदा यूँ मोहब्बत होने लगी है..





इतनी थी इल्तेजा मेरे दिल की
न जाने क्यों वक़्त बेजार हो गया..
नज़रें तराशती रही खुशियों को
और ग़मों से मेरा करार हो गया..











यादों पे तेरी हर महफ़िल फ़िदा है..
एहसास का ये दामन तुझसे जुड़ा है...
हर मौसम दिल की यही सदा है....
मेरे अक्स का न कुछ तुझसे छिपा है..
गर हो तुम खफा मुझसे तो ये....
मेरी नहीं शायद वक़्त की खता है.....



यादों पे तेरी हर महफ़िल फ़िदा है..
एहसास का ये दामन तुझसे जुड़ा है...
हर मौसम दिल की यही सदा है....
मेरे अक्स का न कुछ तुझसे छिपा है..
गर हो तुम खफा मुझसे तो ये....
मेरी नहीं शायद वक़्त की खता है.....






शुक्रिया जो आपकी दुआओं में शामिल हूँ 
अंजन डगर और खोयी इन राहों पे सही
तुम सीप में मोती सी तामिल हो..
मेरी दोस्ती की कश्ती का साहिल हो...


आबाद हो तुम्हारी हसीन दुनिया
आपकी इनायतों का कायल हूँ...
साथ है आपका चलने के लिए
आरजू है खुदा की सो हासिल हो...

तेरी हर मुस्कराहट को आफताब सा संजो कर रखा है.......
हर एहसास को दिल ए गुलजार में समा कर रखा है.........
यकीन न आये तो मेरी तनहाइयों से पूछ लेना
तेरी यादों के फूल मैंने वक़्त के पन्नो में छिपा के रखे हैं...........

Saturday, July 2, 2011

आज वो बीता लम्हा बन गया है..


गुजरते हुए पलों में एहसास बदल सा गया है
सूखे हुए गुलाब सा मर्म सिमट सा  गया है ......
जाने किस अंजान डगर को बढ़ चले हैं कदम
मानो आने वाला हर मंज़र बिखर सा गया है....

बदली हैं इमारतों की तस्वीरें कुछ इस कदर क़ी
बसेरा तो है वही पर सुकून छीन सा गया है..
दूर हो गया है इंसानियत का दामन कहीं
नज़रों क़ी इस फेर में शय हो सा गया है...

कभी चलते थे मंजिल क़ी तलाश लिए
आज वो सफ़र और कारवां खो सा गया है..
इम्तेहान है ये शायद मेरे जूनून का
ख़त क़ी मेरा शीशा जार जार हो गया है...

फिरते थे परिंदे कभी इन फिजाओं में
जो आज गैरों का डेरा बन गया है..
होता था जिन गलियों में सैर सपाटा
आज वो बीता लम्हा बन गया है..

शायद यकीन न आये उन्हें मेरे जस्बातों पे
अब बेगानों पे भरोसा जो हो गया है..
आज भी मिल जाएँगी खोयी निशानियाँ
ख़त क़ी स्याह उन किनारों पर कुछ डूब सा गया है.  

Saturday, June 25, 2011

Oddesity of Life


Everyday we get along in the morning with th aspiration of having a better view of life we gets along with to witness the even phases of life, but in general it happens very rarely and that’s how life makes us look through the mirror of time that one can never predict  what sort of things will take place in moments coming ahead in fotune of life, the only thing we can do is to see that moment passing away having compassion and tolerance to recover from it.


Many a times in  life we feel that things are not being in our favor and we founds ourself helpless and betrayed because of such miserable and uncertain happenings. I too have witnessed this kind of situation where I felt life is full of odds and those who are lucky deserves even sort of things and caliber rquired to fight with this oddesity of life is beyond the weighing capacity of my shoulders and being lucky or getting rid of such situations are not my cup of tea, but only thing which kept me surviving is the belief that every odd gets changed to even and untill and unless you wouldn’t suffer odd you wil not recognize the value of even and sake of patience that every doom has a delightening day coming towards.


I have seen things getting deeper and panic and I have seen what could be the peak of oddesity  that deals with pains suffered by parents unfavorable winds of blow and low morale feeded situation because of not getting the right path to move ahead, because of the fact of fight going on between self dignity and existance of life to stand alone firm and tall. But I too belive that “Every Dog has a day” mine will come too. As William Shakspeare said “Every painful stoty has a successful ending and every successful story deals with painful beginning” just keep this thing in the thought have the zeal to excel and enthusiasm to learn things coming ahead in life and the mentality to accept whatever life gives to you while having a smile on face. And then believe me you will pursue your life with a thought so called “A good day gives us moment to cheer to enjoy to bloom into memory and a bad day gives us learning and expeirnce of conquering oddesity of life.”

Sunday, June 12, 2011

ए खुदा मेरी दुआओं को नज़र करना

ए खुदा मेरी दुआओं को नज़र करना
दिल की हसरतों और इनायतों को न सही..
मेरी सलामती की दुआ करने वालों की मुस्कान
और उनकी हसीन दुनिया को आबाद रखना...





की होगी गर मैंने शिकायत तुझसे कभी तो
इस नाचीज की खता को माफ़ करना..
मेरी जिंद तेरी रहमत का है नतीजा
सरपरस्ती से मेरी वाकिफ रखना..




जन्नत से कम नहीं ये कायनात हमारी
इसे अपने बरकत से सराबोर रखना..
बाशिंदे इसके दीवाने हैं तेरी परवरिश की
इस बाग ए गुलशन को अमन से गुलज़ार रखना...

Saturday, June 11, 2011

जनाब की शिरकत कभी महफिलों में थी

फेस बुक पे चर्चाओं की शुरुआत हो गयी..
कोई चुलुबुल तो कोई झंडू बाम हो गए..



जानी पहचानी सड़कों पे लोग अन्जान हो गए..
सूरत वोहि रही बस तासीर मक्बूलात हो गए..
आए हैं लोग लेके फरियाद उनके दर पर..
बदल तो बस जनाब के जस्बात गए..


मुन्नी शीला और रज़िया में उलझी ये नज़रें
न जाने क्यों बदले बदले से हालत हो गए..
जनाब की शिरकत कभी महफिलों में थी
नज़रों के फलक में आप ईद इ आफताब हो गए..

Monday, June 6, 2011

Tracing Dilemma to Adopt or Nullify Changes and Succeeding in Life




Many a times we find ourselves forced to adopt the uncertain changes and upbringings of life, because more or less our brain is not willing to stabilize itself according to situations or sometimes it’s not prepared to follow the line of changes. You may react being irritated or you will drive with feeling to deny the reality which already has taken place on way to life, what next should I give up? Or should I make myself according to situations which are affecting my life. The answer is think about two states of being first one what if I adopt the changes? And secondly am I supposed to accept the changes and if I will deny it what I am going to lose in fortune? Think about it follow your heart you will find a logical answer to conquer the situation of dilemma sooner or later.

Its diehard reality of life that adversities affect our present lives but at the same time they make us prepared for any similar changes of future, life is the kind of phenomenon which is full of challenges, causes, dilemma and changes one who endeavors to fight according to situation gets succeeded and one who reacts like stubborn and unwilling to prepare for change lags behind in the race.

Because by default or by luck opportunity lies in changes brought by life and one who traces his destination in it lands safely keeping his goal in mind. And dilemma is a kind of situation which jolts us in conflicts and confusion but it also sharpens our analytical skills and boosts us towards maturity in decision making. If we will start putting our efforts to tap the hidden values in changes for making best use of them for future outputs definitely we will get to our destination. I would like to share a story to in this context to clear the moral with grounds of reality.

A craftsmen was habitual of making materials out of woods available in the town, one day someone suggested him to use woods from forest trees as they have good quality and edges he denied another person tried the woods of forest and became popular even the king of state honored him with wealth and respect and this incident made the craftsmen feeling jealous and full of lament. So the moral of story is accepting certain changes which are required and having flexibility in approach and execution to witness the better aspects of life. 

वो गुजरे पलों को है संजोना लूँ मैं दिल को थाम जरा


वो गुजरे पलों को है संजोना लूँ मैं दिल को थाम जरा
कच्ची पक्की गलियों से गुजरना, वक़्त से परे ख्वाबों में उड़ना..
धुप लेके आसमान को तकना, तितली पकडे फुर्र  फुर्र करना..


हो सुबह तो नदियों से गुजरना, भरी दुपहरी पतंगों का उड़ाना
आमो कि बगिया में पैठ लगाना, वो माली को छकाना मजे उड़ाना..
कितनी रौशनी होती थी आँखों में, कि शीत रुपी बूंदों का चमकना


बारिश में भीगना हूँ ठिठुरना, बहती नालियों में डोंगे बहाना..
लिए चंद ख्वाब मस्त सलोना, खेतों के पाले गन्ने चुराना.
दादी कि कहानी सुनाना, और दादे से बतियाना.
रहते थे मस्त आँचल तले, ना सोचा कभी आज क्यों रोना..


हसीन थे वो दिन और खूब था वो कारवां
आज रह गए बाकि उन दिनों कि यादें और निशान...

Friday, June 3, 2011

फिर न जाने क्यों तू रुलाई जाती है.


दूर से ही सही कहीं से सदा आती है..
किसी की धड़कने सुनायी देती हैं..
गर यकीन न आए तो पूछ लो तन्हाई से
किस कदर तू मुझमे समाई जाती है..


वक़्त के तूफ़ान में सब बह जाते हैं...
रह तो सिर्फ वीरानियाँ जाती हैं..
हर पल चिलमन में सहेज कर रखा तेरी यादों को
फिर न जाने क्यों तू रुलाई जाती है..


रुकते तरसते बहते इन आँखों को डूबा जाती है
जाने ये रुख ज़िन्द किस ओर ले जाती है..
बरसों से लगाये बैठे हैं आस तुम्हे सुनने की
आलम ये है की अकेले ही गुनगुनाये जाते हैं..

Tuesday, May 24, 2011

गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे

दूर न था मंजिल सुहाना..
गाते चले थे मौसम सुहाना
ख़त की किसी ने फ़साना चुरा लिया..


हमे भी आता था साथ निभाना
ख़त की उनने दमन छुड़ा लिया..
चंद पलों की थी रवानी
ख़त की हमसे नज़र चुरा लिया..


हम उम्मीदें लिए फिरते रहे
वक़्त ने अफ़सोस जाता दिया..
गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे
ख़त की काँटों ने शहर मिटा दिया..

Sunday, May 15, 2011

मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..

गीत हैं गाने को पर साज नहीं मिलता
चलता हूँ मगर कारवां नहीं मिलता..
जाने किस बात रूठी है मुक्कद्दर
मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..




दिल रो देता है कभी ये सोच कर की.
मेरे ही ख्यालों को अंजाम नहीं मिलता..
कदम दो कदम चलने वाले बहुत हैं
मगर कोई हुम्न्फाज साथ नहीं ठहरता..




रुक सी गयी है उमंग अब कहीं पर
बदल जाऊं पर कोई नकाब नहीं मिलता..
किश्तों और पैमानों की आदत नहीं है मुझे
पर क्या करें मेरी सोच को जहान नहीं मिलता..

Friday, May 13, 2011

शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


मुसाफिर थे हम भी गुमनाम मंजिल के
मगर ठोकरों ने हमे चलना सिखा दिया..
गुजर पड़े जिन चौवारों और गलियों से..
उन हालातों ने सफ़र को याद बना दिया..

कभी कभी तो लगता था मै कौन हूँ..
और इस सनक ने हमें आवारा बना दिया..
महफ़िल ना मिले गुलज़ार होने वास्ते..
शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


होती नहीं मुकम्मल खैरियत सभी की..
इस एहसास ने तन्हाई का कायल बना दिया..
चंद अफसाने और अल्फाज़ हैं बयां करने को..
ज़िन्दगी की कशिश ने तलबगार बना दिया..


ना शौक है ना रिवायत है तरानों की..
किसी की मासूकी ने हैरत में ला दिया..
मेरी कश्ती की नसीब में साहिल कहाँ थी
मेरी उम्मीद के चरागों को कोई बुझा गया..

मुस्काने की आदत ना थी हमे
फिर क्यों हमे खामोश करा दिया....
दिल को शिकवा नहीं है एक शिकायत कि
मुझे ही निगेहबान क्यों बना दिया....

Sunday, May 8, 2011

कह देते गर तुम हमारे पास होते..


कह देते गर तुम हमारे पास होते...
दिखा देते एहसासों को गर दिखाई देते ...

दिल हर रोज इबादत किया करता है..
महसूस तो करो वजूद आ ही जाते..

गिला नहीं मुझको तेरे इंतज़ार का..
आस है और रहेगी की तुम मिलने आते..

सपनो से ऊँची है मेरी उड़ने..
यकीन के पैमाने नहीं आते..

रंगों में बिखरी है एहसास की किरने..
कैद नहीं कर सकते ख़ामोशी को..
तन्हाई से याराने नहीं होते..

कभी दिल लगता है आवारा सा..
पर कोई प्यार जताने नहीं आते..

काश की तुम मिलते एक दफा..
बीच डगर छोड़ तुम हमको यूँ ना जाते..

Saturday, May 7, 2011

माँ तू ना होती तो मेरी जिंदगानी ना होती..


माँ तू ना होती तो मेरी जिंदगानी ना होती..
ना होता मेरा अस्तित्व ना ये समां होती..

तेरे ही दम से कायम है ये बुलंदी..
वरना ज़माने की ये दौड़ ना होती..

आँखों में आंसू और चेहरे पे हंसी न होती..
महकमे की फूल और ये नजाकत ना होती..

तू शीतल है नदी सी..सादगी है गजब की..
तुझसे ही आबाद है सितारों की दुनिया ..
वरना आसमान तले ये जन्नत ना होती..

फूलों की खुशबू मौसम की रवानी...
ये पतझड़ सावन और कहानी ना होती..

खुशनसीब हूँ मै तेरे दामन और छाओं तले..
वरना मेरी ज़िन्दगी इतनी महफूज ना होती..

Friday, April 15, 2011

गुलज़ार इ ग़ज़ल से चंद शब्द चुराए हैं तेरे लिए ......


आज दिल से आवाज़ आई...
तुमने गीत लिखे गुलज़ार लिखे...
दोस्ती भी की मौसिकी भी की...
शायर की तरह जस्बातों को एहसासों में पिरोया..
चंद ग़ज़ल भी लिखे मगर सूरज को ना लिखा...

तोह आज मैं सूरज को लिखता हूँ..

सूरज वो जो गीतों मे गुलज़ार है..
वो किरण जो कशिश है बहार है..
शीतल से मद्धम बारिश की फुहारें
स्वप्न के आकाश में उतरती कतारें..

सादगी और यारी में खुद को समेटे...
मै कह दूँ तो खुद को ना रोके...
वो एक शख्स मेरे किये जिसके खास मायने हैं..
सूरज वो जो ख़ुशी के साहिल में डूबा दे...

सूरज वो जो मुझसे कहने को बेकरार
सूरज वो जो सुनाने को तैयार..
एक नम हवा का झोंका
शरद में शामिल बसंत सी बहार..

संग जिसके मैंने यादों के पल समेटे...
संग जिसके बारिश में भींगे..
नदी में कुंए में डूबे मस्ती में भींगे..
मूवी को भागे हॉस्टल से कूदे..

बैठ साथ जिसके प्लान्स बनाये..
हवा हवाई में खूब ख्वाब संजोये..
साथ मिलके जिसके नैन लड़ाए..
साथ मिलके जिसके हँसे और रोये..

सारी दुनिया एक ओर वो और मै..
कोई हो ना हो वो और मै..
एक शख्स जो मुझे समझता है...
साथ मेरे चलता है...

दिल तो कहता है...और लिखूं
पर शब्द नहीं हैं बताने को..
की कितना खास है तू मेरे लिए...
शायद मै हूँ तेरे लिए और तू मेरे लिए...

गर साथ तुम मेरे ना होते..
तो मेरे एहसासों को अर्पण ना होते..
शायद इतनी रंगीन ना होती जिंदगानी..
और वक़्त की रवानी ना होती...

वक़्त के पन्नो पर ज़िन्दगी को करवट लेते देखा है..



इब्तेदा हसरतों को मजबूरियों में ढलते देखा है..
इरादों के शहर को गर्क होते देखा है...
कोई क्या समझेगा ख़ामोशी की जुबान ...
हमने सरे बाज़ार आवाज़ को दबते देखा है...

यकीन था खुले आसमान में उड़ने का...
मगर मजबूरियों को पंख कुतरते देखा है..
हकीकत में लोग क्या आईना दिखाते..
कुछ खास निगाहों को नज़र चुराते देखा है...

कभी मुरीद हुआ करता था दिल जिन वादियों का..
आज उन वादियों को बियांबर होते देखा है..
नुमाइश ही तो करते हैं आज लोग..
हर डगर हर गली तमाशा देखा है...
चंद लम्हों से क्या फासला बढेगा..
सालों को दिनों में बिखरते देखा है..
तुम ना मानो शायद मेरी बात को मगर
लोगों को अपनों से दामन छुडाते देखा है..

जिन मकानों को धूप से सँवारा करते  थे..
आज उन्हें अंधियारों में घिरा देखा है..
कुछ अजब से थे इस डगर के मुसाफिर
आज उन्हें दर से बेदखल होते देखा है..

मै शायद कह भी देता अपनी जुबान से..
की मै भी इस बस्ती का बाशिंदा हूँ..
क्या हो गया जो आवारगी में बसर करता हूँ..
कल के लिए ख़ामोशी को इख्तेयार करके देखा है...

वक़्त के पन्नो पर ज़िन्दगी को करवट लेते देखा है..

Sunday, March 13, 2011

ज़िन्दगी मेरी खुली किताब है पलट के देखो शायद मुस्कुरा सकूं..


मुसाफिर हूँ अन्जान चलता हूँ गुमनाम
की शायद एक मुकाम बना सकूं...

सिद्दत है जीने की जिद है मुस्कुराने की..
की कल अपनी जगह बना सकूं..

चंद अरसों से बिखरे से हैं जस्बात..
उम्मीद है किसी रोज उन्हें संजो सकूं..
                                                                                           

वक़्त मुक्कमल और खैरियत नहीं न सही..
कल अपने हिस्से की दुनिया शायद पा सकूं..

गुनगुनाता हूँ सुर्ख तराने ज़िन्दगी के..
हर हालत में अपने दिल को बहला सकूं..

मै कोई शायर या जियाकर  नहीं...
लिखता हूँ की तन्हाइयों को मिटा सकूं..

आज की कुछ खबर है कल का नहीं ऐतबार
इसलिए जीता हूँ हर रोज की याद आ सकूं..

मिलेंगे कुछ पन्ने तुम्हे अपनी ज़िन्दगी के
मेरी किताबों में कहते हुए जो मै न बता सकूं...

साथ है मेरे यादें और कारवा ए सफ़र..
देखो शायद कल फ़तेह पा सकूं..

ज़िन्दगी मेरी खुली किताब है पलट के देखो शायद मुस्कुरा सकूं..

Thursday, March 3, 2011

अपनी हस्ती का एहसास लिए मै बरसों तडपता रह गया..



न कोई महफ़िल न कोई बियांबर रह गया...
एक अनजाने मंजिल की ख्वाहिश लिए....

मै हर शहर वीरान डगर भटकता रह गया..
खलिश और किवायद लिए अपने आप से जूझता रह गया..

रुख्श और शबाब आये भी तोह कुछ पल के लिए..
मैं पतझड़ में सावन तराशता रह गया...
                                                               
अब तो जैसे लगता है एक अरसा हो गया मुस्कुराये हुए..
मैं अपनी जद्दोजहद में अरमानो को कुरेदता रह गया...

इक अनजान सी शिकन मेरे चेहरे पे उभरता गया..
मै इक गुमनाम सी डगर पे मुद्दतों ठहर सा गया...

न कोई गिला न कोई शिकवा किसी से रह गया ..
अपनी हस्ती का एहसास लिए मै बरसों तडपता रह गया..

Sunday, February 27, 2011

माता-पिता की भावनाओं को समझें, उन्हें सम्मान दें..........

माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन में बहुत कुछ करते हैं। वे बच्चों की जरुरतों को पूरा ध्यान रखते हैं लेकिन अक्सर देखने में यह आता है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और मां-बाप बुढ़े। तो बच्चे उन्हें घर का अनावश्यक सामान समझने लगते हैं जबकि उम्र के इस पढ़ाव पर उन्हें अपनों के प्रेम की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। इसलिए अपने माता-पिता की आवश्यकताओं को समझें और उनके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।


एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पेड़ के आस-पास एक बच्चा खेलने आया करता था। बच्चे और पेड़ की दोस्ती हो गई। पेड़ ने उस बच्चे से कहा तू आता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। बच्चा बोला लेकिन तुम्हारी शाखाएं बहुत ऊंची है मुझे खेलने में दिक्कत होती है। बच्चे के लिए पेड़ थोड़ा नीचे झुक गया। वह बच्चा खेलने लगा। एक बार बहुत दिनों तक बच्चा नहीं आया तो पेड़ उदास रहने लगा। और जब वह आया तो वह युवा हो चुका था। पेड़ ने उससे पूछा तू अब क्यों मेरे पास नहीं आता? वह बोला अब मैं बड़ा हो गया हूं। अब मुझे कुछ कमाना है। पेड़ बोला मैं नीचे झुक जाता हूं तो मेरे फल तोड़ ले और इसे बेच दे। तेरी समस्या का समाधान हो जाएगा।

इस तरह वह पेड़ जवानी में भी उसके काम आ गया। फिर बहुत दिनों तक वह नहीं आया। पेड़ फिर उदास रहने लगा। बहुत दिनों बाद वह वापस लौटा तो पेड़ ने कहा तुम कहा रह गए थे। वह बोला क्या बताऊं बड़ी समस्या है। परिवार बड़ा हो गया है अब मुझे एक घर बनाना है। पेड़ बोला एक काम कर मुझे काट ले। मेरी लकडिय़ां तेरे कुछ काम आएंगी। उसने पेड़ काट डाला। अब केवल एक ठूंठ रह गया पेड़ के स्थान पर।

फिर लंबे अरसे तक वह नहीं आया। एक दिन वह आया तो बड़ा चिंतित था। पेड़ बोला तुम कहां रह गए थे और इतने परेशान क्यों हो? वह बोला मैं तो पूरी तरह से परिवार में उलझ गया हूं। बाल-बच्चे हो गए हैं। बेटी के लिए रिश्ता देखने जाना है। रास्ते में नदी है कैसे जाऊँ? पेड़ बोला। तू एक काम कर यह जो थोड़ी लकड़ी और बची है इसे काटकर एक नाव बना और अपनी बेटी के लिए लड़का देखने जा। उसने ऐसा ही किया। फिर वह बहुत दिनों तक नहीं आया। बहुत दिनों बाद जब वह आया तो बड़ा परेशान था। पेड़ ने पूछा अब क्या हुआ? वह बोला मैंने बच्चों को बड़ा तो कर दिया पर अब यह चिंता है कि मेरे बच्चे मेरे चिता की लकड़ी भी लाएंगे कि नहीं?

पेड़ ने कहा ये जो भी कुछ बचा है मेरे शरीर का हिस्सा। इसे भी तू काट ले यह तेरे अंतिम समय में काम आएगा। और उसने पेड़ का बाकी हिस्सा भी काट लिया। और इस तरह उस पेड़ ने उस बच्चे के प्रेम में अपना संपूर्ण व्यक्तित्व ही न्यौछावर कर दिया!!

Thursday, February 24, 2011

Some Insights of German Language


Some important words to build German Vocabulary:

Nein = no

Ein = a

Ja = yes

Hast = have

Auf =on

Gasegt = said

Sicher = sure

Nicht = not

Aber = but

Bisschen = bit

Verwandter = relative

Unsicher = uncertain

Eins = one

Keins = none

Mehr = more

Als = than

Sie = you

Wie viele = how many

Schwager = brother in law

Die/der = the

Nahe =close

Mein/meiner = my/mine

Ist = is

Bruder = brother

Seines = his

Vater = father , grovater = grand father

Mutter = mother

Fran = wife

Sohnes = son

Die fran = the women

Jahren =years

Bin = am

Heiraten = marry

Erhalten = get

Sich erer = of their

Laub = leaves

Zu bekommen = to get

Kind = child

Eures = years

Some Important Relations:

Schwigerin = sister in law

Schwigervater = father in law

Schwigermutter = mother in law

Schwigersohn = son in law

Schwigertochter = daughter in law

Urgro B Vater = great grand father

Urgro B Mutter = great grand mother

Ururgro B Vater = great great grand father

Die zwillinge = the twins

Die drilling = the tripplets

Die ehe = the marriage

Die ehe = before the

Gibt immer = is always

Weniger = less

Eheper = spouses/couple

Adoptieren = to adopt

Wird ein kind = a child

Die mutterschaft = maternity

Freundin = friend

Die vaterschaft  = paternity

Erfruen = enjoys

Die kinderriche familie = the large family

Sub ventionen = financial subsidies

Ledige = unmarried

Hilfe = help

Ihres = their

Ohne = without

Das waisenkind  = the orphan child

Wollen = want

Erzeihen = educate

Ihre = their

Weise = as

Zy = to

Zeit = time

War = was

Sagst = say

Haben = have

Gern = like

Seitden = since

Wisen = know

Mich = me

Auch sen = see also

Und = and

Hundertprozentig  = completely/hundred percent

Frene = looking forward

Nicht = didn’t
  
Some normal sentences:

Was hast du gesagt – what did you said

Sie sind sich nicht sicher – if you are not sure

Ja aber sie ist ein bisschen unsicher = yes but it is bit uncertain

Nein eins hast gasegt – no one have said

Basics of Italian Language


Some important word to learn Italian Vocabulary:
io = I

nella mia = in my

cosi che = so that

tante = many

quante = many

nella = in

succendendo = going

canto = singing

di = of

ogni = each

relazione  = report

rapport   =relationship

amigos = friends

lo que = what

credere / creen = believe

mente = mind

Avanti = forward

Ti fa = makes you

Cosati = what do you

Comminare = impose

Volere = want

Vedere = see

Dove = where

Bello = beautiful

Anni = years

Vorresti = would like

Si = is

Lingua = language

Vin = saw

Studiando = studying

Lovorondo = working

Some basic sentences now we will go through :

Come stai = how are you

Sto bene = I am good

Come ti chiami  =Your name

Sono sahil = I am sahil

Cio che e ur nome = what is your name


Quanti anni ha = how old are you


Di dove sei = where are you


Vengo dall India = I am from India


Ho 22 anni = I am 22 years old


Ci siele = are you there


Sei cosi bella = you are so beautiful


Vorresti essere mio amico = would you like to be my friend


Dico sul serio = I mean it


Pertanto si e bravi a entrambe le lingue = so you are good at both languages


Si sta studiando o lavorando = you are studing or working


Citta Raipur dall India = Raipur city from India


Sono sahil da India = I am Sahil from India


Qual e la tua eta = what is your age


Ho visto 23 molle in vita mia = I have seen 23 springs in my life


Quante piogge che hanno goduto della tha vita = how many rains you have enjoyed in your life


Cosi che cosa sta succendo nella vosta vita = what’s going on in your life


Se sei in ogni rapporto = are you in any relationship


Vamos a ser amigos = shall we become friends


Lo que creen firmemente en su vida   = what you firmly believe in your life


Cosa ti fa camminare Avanti nella vita = what makes you walk ahead in your life


Si sta lavorando o studiando = you are working or studying


Volete sapere dil me = would you like to know about me


Volete vedere la mia foto = would you like to see my picture

Basics of Portuguese



Some Important Words To have Portuguese Vocabulary:

Um = a , Eu = I

Minutos = minutes

Bom = nice/good

Pesculpe = sorry

Porque = because

Do = of

Obrigado = thanks

Bonita = beautiful

Sozinho = alone

Namorada = girlfriend

Voce = you

Tem = have

Gostei = liked

Muito = very

O que e = and what

Pesquisa = search

Quase = almost / hardly

Meu = my

Ver = see

Disse = said

Em = in

Por = why

Divertido = fun

Menina /Garota = girl

Rindo = laughing

Par favor = please

Esta = are

Queria = wanted

Cravei = hurt

Coracao = heart

Menino = Boy

Now over view and formation of certain sentences : 

Assim e melhor – and that’s better

Ve entende minha lingua – you understand my language

Porque en son inciante – because I am beginner

Porque so brazilia – because I am Brazilian

Voce intende – you understand

Dizar nada = say anything

Sim e compricando son iniciate = yes and I am a beginner

En gostei de voce = I like you

En gosto de voce muito bonita = I like you too beautiful

Voce tem namorada = you have a girlfriend

Eu eston sozinho  = I am alone

Posso ver o meu amigo = can I see my friend

o que fez voce disse = What did you said

voce esta em relacao = Are you in relationship

En estava rindo = I was laughing

En nao entendo = I do not understand

Nao tem de que = do not have that

Posso ver a minha menina bonita  = can I see my beautiful girl

Apenas en queria = just I wish

Eu aceito voce como meu amigo = I accept you as my friend

Espero que ele continue voce feliz = I hope he keeps you happy

Pena do meu coracao se eu cravei voce – sorry from my heart if I dug /hurted you

Pena do meu = sorry for me