फेस बुक पे चर्चाओं की शुरुआत हो गयी..
कोई चुलुबुल तो कोई झंडू बाम हो गए..
कोई चुलुबुल तो कोई झंडू बाम हो गए..
जानी पहचानी सड़कों पे लोग अन्जान हो गए..
सूरत वोहि रही बस तासीर मक्बूलात हो गए..
आए हैं लोग लेके फरियाद उनके दर पर..
बदल तो बस जनाब के जस्बात गए..
मुन्नी शीला और रज़िया में उलझी ये नज़रें
न जाने क्यों बदले बदले से हालत हो गए..
जनाब की शिरकत कभी महफिलों में थी
नज़रों के फलक में आप ईद इ आफताब हो गए..
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