दूर से ही सही कहीं से सदा आती है..
किसी की धड़कने सुनायी देती हैं..
गर यकीन न आए तो पूछ लो तन्हाई से
किस कदर तू मुझमे समाई जाती है..
वक़्त के तूफ़ान में सब बह जाते हैं...
रह तो सिर्फ वीरानियाँ जाती हैं..
हर पल चिलमन में सहेज कर रखा तेरी यादों को
फिर न जाने क्यों तू रुलाई जाती है..
रुकते तरसते बहते इन आँखों को डूबा जाती है
जाने ये रुख ज़िन्द किस ओर ले जाती है..
बरसों से लगाये बैठे हैं आस तुम्हे सुनने की
आलम ये है की अकेले ही गुनगुनाये जाते हैं..
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