Wanderer's Diary

Welcome to Wanderer's Diary blog its a pleasure and joyful ride to have you all blogers and net surfers stay in touch and keep posting your opinions and if you wish to share anything most welcome...........

"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Tuesday, May 24, 2011

गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे

दूर न था मंजिल सुहाना..
गाते चले थे मौसम सुहाना
ख़त की किसी ने फ़साना चुरा लिया..


हमे भी आता था साथ निभाना
ख़त की उनने दमन छुड़ा लिया..
चंद पलों की थी रवानी
ख़त की हमसे नज़र चुरा लिया..


हम उम्मीदें लिए फिरते रहे
वक़्त ने अफ़सोस जाता दिया..
गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे
ख़त की काँटों ने शहर मिटा दिया..

Sunday, May 15, 2011

मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..

गीत हैं गाने को पर साज नहीं मिलता
चलता हूँ मगर कारवां नहीं मिलता..
जाने किस बात रूठी है मुक्कद्दर
मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..




दिल रो देता है कभी ये सोच कर की.
मेरे ही ख्यालों को अंजाम नहीं मिलता..
कदम दो कदम चलने वाले बहुत हैं
मगर कोई हुम्न्फाज साथ नहीं ठहरता..




रुक सी गयी है उमंग अब कहीं पर
बदल जाऊं पर कोई नकाब नहीं मिलता..
किश्तों और पैमानों की आदत नहीं है मुझे
पर क्या करें मेरी सोच को जहान नहीं मिलता..

Friday, May 13, 2011

शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


मुसाफिर थे हम भी गुमनाम मंजिल के
मगर ठोकरों ने हमे चलना सिखा दिया..
गुजर पड़े जिन चौवारों और गलियों से..
उन हालातों ने सफ़र को याद बना दिया..

कभी कभी तो लगता था मै कौन हूँ..
और इस सनक ने हमें आवारा बना दिया..
महफ़िल ना मिले गुलज़ार होने वास्ते..
शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


होती नहीं मुकम्मल खैरियत सभी की..
इस एहसास ने तन्हाई का कायल बना दिया..
चंद अफसाने और अल्फाज़ हैं बयां करने को..
ज़िन्दगी की कशिश ने तलबगार बना दिया..


ना शौक है ना रिवायत है तरानों की..
किसी की मासूकी ने हैरत में ला दिया..
मेरी कश्ती की नसीब में साहिल कहाँ थी
मेरी उम्मीद के चरागों को कोई बुझा गया..

मुस्काने की आदत ना थी हमे
फिर क्यों हमे खामोश करा दिया....
दिल को शिकवा नहीं है एक शिकायत कि
मुझे ही निगेहबान क्यों बना दिया....

Sunday, May 8, 2011

कह देते गर तुम हमारे पास होते..


कह देते गर तुम हमारे पास होते...
दिखा देते एहसासों को गर दिखाई देते ...

दिल हर रोज इबादत किया करता है..
महसूस तो करो वजूद आ ही जाते..

गिला नहीं मुझको तेरे इंतज़ार का..
आस है और रहेगी की तुम मिलने आते..

सपनो से ऊँची है मेरी उड़ने..
यकीन के पैमाने नहीं आते..

रंगों में बिखरी है एहसास की किरने..
कैद नहीं कर सकते ख़ामोशी को..
तन्हाई से याराने नहीं होते..

कभी दिल लगता है आवारा सा..
पर कोई प्यार जताने नहीं आते..

काश की तुम मिलते एक दफा..
बीच डगर छोड़ तुम हमको यूँ ना जाते..

Saturday, May 7, 2011

माँ तू ना होती तो मेरी जिंदगानी ना होती..


माँ तू ना होती तो मेरी जिंदगानी ना होती..
ना होता मेरा अस्तित्व ना ये समां होती..

तेरे ही दम से कायम है ये बुलंदी..
वरना ज़माने की ये दौड़ ना होती..

आँखों में आंसू और चेहरे पे हंसी न होती..
महकमे की फूल और ये नजाकत ना होती..

तू शीतल है नदी सी..सादगी है गजब की..
तुझसे ही आबाद है सितारों की दुनिया ..
वरना आसमान तले ये जन्नत ना होती..

फूलों की खुशबू मौसम की रवानी...
ये पतझड़ सावन और कहानी ना होती..

खुशनसीब हूँ मै तेरे दामन और छाओं तले..
वरना मेरी ज़िन्दगी इतनी महफूज ना होती..