गीत हैं गाने को पर साज नहीं मिलता
चलता हूँ मगर कारवां नहीं मिलता..
जाने किस बात रूठी है मुक्कद्दर
मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..
दिल रो देता है कभी ये सोच कर की.
मेरे ही ख्यालों को अंजाम नहीं मिलता..
कदम दो कदम चलने वाले बहुत हैं
मगर कोई हुम्न्फाज साथ नहीं ठहरता..
रुक सी गयी है उमंग अब कहीं पर
बदल जाऊं पर कोई नकाब नहीं मिलता..
किश्तों और पैमानों की आदत नहीं है मुझे
पर क्या करें मेरी सोच को जहान नहीं मिलता..
चलता हूँ मगर कारवां नहीं मिलता..
जाने किस बात रूठी है मुक्कद्दर
मेरे इनायतों को मक़ाम नहीं मिलता..
दिल रो देता है कभी ये सोच कर की.
मेरे ही ख्यालों को अंजाम नहीं मिलता..
कदम दो कदम चलने वाले बहुत हैं
मगर कोई हुम्न्फाज साथ नहीं ठहरता..
रुक सी गयी है उमंग अब कहीं पर
बदल जाऊं पर कोई नकाब नहीं मिलता..
किश्तों और पैमानों की आदत नहीं है मुझे
पर क्या करें मेरी सोच को जहान नहीं मिलता..
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