Wanderer's Diary

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"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Friday, May 13, 2011

शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


मुसाफिर थे हम भी गुमनाम मंजिल के
मगर ठोकरों ने हमे चलना सिखा दिया..
गुजर पड़े जिन चौवारों और गलियों से..
उन हालातों ने सफ़र को याद बना दिया..

कभी कभी तो लगता था मै कौन हूँ..
और इस सनक ने हमें आवारा बना दिया..
महफ़िल ना मिले गुलज़ार होने वास्ते..
शायद इस खलिश ने मुझे शायर बना दिया..


होती नहीं मुकम्मल खैरियत सभी की..
इस एहसास ने तन्हाई का कायल बना दिया..
चंद अफसाने और अल्फाज़ हैं बयां करने को..
ज़िन्दगी की कशिश ने तलबगार बना दिया..


ना शौक है ना रिवायत है तरानों की..
किसी की मासूकी ने हैरत में ला दिया..
मेरी कश्ती की नसीब में साहिल कहाँ थी
मेरी उम्मीद के चरागों को कोई बुझा गया..

मुस्काने की आदत ना थी हमे
फिर क्यों हमे खामोश करा दिया....
दिल को शिकवा नहीं है एक शिकायत कि
मुझे ही निगेहबान क्यों बना दिया....

2 comments:

  1. Awesome one... ultimate.. hatts off.. Liked it frm the core of my heart... !!

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