दूर न था मंजिल सुहाना..
गाते चले थे मौसम सुहाना
ख़त की किसी ने फ़साना चुरा लिया..
हमे भी आता था साथ निभाना
ख़त की उनने दमन छुड़ा लिया..
चंद पलों की थी रवानी
ख़त की हमसे नज़र चुरा लिया..
हम उम्मीदें लिए फिरते रहे
वक़्त ने अफ़सोस जाता दिया..
गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे
ख़त की काँटों ने शहर मिटा दिया..
गाते चले थे मौसम सुहाना
ख़त की किसी ने फ़साना चुरा लिया..
हमे भी आता था साथ निभाना
ख़त की उनने दमन छुड़ा लिया..
चंद पलों की थी रवानी
ख़त की हमसे नज़र चुरा लिया..
हम उम्मीदें लिए फिरते रहे
वक़्त ने अफ़सोस जाता दिया..
गुल खिल भी जाते आशियाने में मेरे
ख़त की काँटों ने शहर मिटा दिया..
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