दर्द की खलिश और बेबसी टूटे रिश्तों को जोड़ देती है..
गोयाकि रिश्ते टूटने से दर्द होता है और दर्द रिश्ते जोड़ भी देता है!!
मनुष्य मन से बड़ा कोई अजायबघर नहीं, जहां कब तस्वीरें,
आईने और मूर्तियां टूट जाती हैं और कब जुड़ जाती हैं। संवेदना से बड़ा कोई फेवीकोल नहीं!!
चिमनियों सी ज़िन्दगी को अब तो सांस आने दो
दरिया की सरहदें तोड़ो, सुकून को रास्ते बनाने दो..
या मुझसे आकर पूछ लो दायरे मेरी हदों के
या मेरी तड़प को अपने सीने में समाने दो...
ये बड़प्पन है या कोई बेबसी जो रह रह के पीता है
जरा आँखों की गठरी खोल जो आता है आने दो..
हर आसमान से पहले माँ का आंचल है
इसे छु कर वजू कर लें मंजिल पे जाने को..
तुमको भी कोई चूमेगा राहों में तेरी बिछकर
एक बार ज़रा दुनिया को हौले से गुज़र जाने दो..
दहलीज़ दिये सी जलती है सीने से लगा लो
या फिर बारिश को ज़रा अपना पैगाम सुनाने दो...
गोयाकि रिश्ते टूटने से दर्द होता है और दर्द रिश्ते जोड़ भी देता है!!
मनुष्य मन से बड़ा कोई अजायबघर नहीं, जहां कब तस्वीरें,
आईने और मूर्तियां टूट जाती हैं और कब जुड़ जाती हैं। संवेदना से बड़ा कोई फेवीकोल नहीं!!
चिमनियों सी ज़िन्दगी को अब तो सांस आने दो
दरिया की सरहदें तोड़ो, सुकून को रास्ते बनाने दो..
या मुझसे आकर पूछ लो दायरे मेरी हदों के
या मेरी तड़प को अपने सीने में समाने दो...
ये बड़प्पन है या कोई बेबसी जो रह रह के पीता है
जरा आँखों की गठरी खोल जो आता है आने दो..
हर आसमान से पहले माँ का आंचल है
इसे छु कर वजू कर लें मंजिल पे जाने को..
तुमको भी कोई चूमेगा राहों में तेरी बिछकर
एक बार ज़रा दुनिया को हौले से गुज़र जाने दो..
दहलीज़ दिये सी जलती है सीने से लगा लो
या फिर बारिश को ज़रा अपना पैगाम सुनाने दो...
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