Wanderer's Diary

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"परमात्मन परब्रम्हे मम शरीरं पाहि कुरु कुरु स्वाहा".....
कल्याण मस्तु..


गर आ जाये जीने का सलीका भी तो .........चंद रोज़ आफताब है इस ज़िन्दगी को गुलज़ार करने के लिए..

मंदिर बहुत दूर है चलो किसी रोते हुए हुए बच्चे को हंसाया जाए...

इन यादों के उजियारे को अपने साथ रखना ना जाने किस रोज़ किस डगर किस घडी इस ज़िन्दगी क़ि शाम होगी..

Stay Rolling .......Keep Rocking .....and Keep Smiling...........

Thursday, February 24, 2011

कभी साज कभी गीत तो कभी मौसम बदल जाते हैं

कभी साज कभी गीत तो कभी मौसम बदल जाते हैं
नही बदलता कुछ तो बस यादों का मौसम क्योंकि...

                                                                
ये बदले तो जीने के एहसास गुम हो जाते हैं........
एहसास जब खो जाते हैं तो दिल आवारा
और धड़कन वक़्त के पन्नो में खो जाते हैं..



मौसिकी में और  नजारों में और न जाने कहाँ कहाँ
नज़रें तुमको ढूँढा करती है नहीं मिलता तो बस तेरा निशान..


लम्हों के पत्ते जब यादों से जुड़ जाते हैं...
तो लगता है ज़िन्दगी सवरने वाली है
और उस सुनहरे कल को संजोये
स्वर्णिम पंख लगा मन स्वप्नील आकाश में हिलोरे लेता है..
मानो जैसे समंदर की लहरें साहिल को छुने बढ़ चली हैं..

ये और बात है की ख़ुशी के पल पलछिन होते हैं..
वो तो हवा से बेतरतीब होते हैं खो जाते हैं..
बस गर कुछ रह जाता है तो यादों का एहसास..
कभी जिनके सहारे ज़िन्दगी गुजरती है तो
कभी विस्मित हो ठहर जाती है..

1 comment:

  1. dedicated to all people who have added some wonderful memories and moments to my beautiful life to make it more glorious...

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