किरण से मोती साहिल पे नज़र आते हैं......
वक़्त की रेत पे तेरी चाल नज़र आते हैं..
जो खोमोश हो वादियाँ गुमशुम सी....
इब्तदा मै कोई शायर ना सही.
पर जुबान पे चंद लब्ज उभर आते हैं..
गुमनाम सी राहों पे जब चलते हैं तोह,,
कंपकंपाते तेरे लब्ज पुकारते चले आते हैं ..
जब कभी भी हम तन्हा होते हैं..
तेरी यादें चिलमन से उभर आती हैं..
ज़िन्दगी गुलज़ार होती है तेरी रोशनी से..
तेरी हर मुस्कान हमें ख़ुशी नज़र कर जाते हैं.
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