सोचा नहीं था आगे क्या शमा होगा
मगर जूनून था जो तराना बन गया....
चंद पल थे ख़ुशी के मुस्कुराने के लिए
पर ना जाने क्यों दर्द से याराना बन गया ...
इत्तेफाक नहीं मंजिल ए सफर में किसी मुश्किलों से
और तनहाइयों से मेरा फ़साना बन गया ..
लब्ज थे एहसास को बयां करने के लिए
मगर ना जाने क्यों ख़ामोशी को एख्तेयर कर लिया...
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