इक हसरत थी क़ि आंचल का प्यार मिले..
मैंने मंजिल को तराशा मुझे बाज़ार मिले...
जो भी तकदीर बनाता हूँ बिगड़ जाती है..
देखते ही देखते दुनिया ही उजड़ जाती है..
मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वडा क्या है...
ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है..
तुने जो दर्द दिया उसकी कसम खता हूँ ...
इतना ज्यादा है क़ि एहसास दबा जाता हूँ..
मेरी तकदीर बता और तकाज़ा क्या है..
मैंने जस्बात के संग खेलती दौलत देखि...
अपनी आँखों से मोहब्बत क़ि तिजारत देखि...
ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रखा क्या है..
ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है
आदमी चाहे तो तकदीर बदल सकता है..
पूरी दुनिया क़ि वो तस्वीर बदल सकता है...
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है..
ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है...
No comments:
Post a Comment