हमारी तन्हा ज़िन्दगी...
वक़्त के पहिया में सरसराती ये ज़िन्दगी...
कोरे पन्नो सि हवा में लहराती ये ज़िन्दगी..
कुछ भूली बिसरी यादों को समेटे हुई ये ज़िन्दगी...
अरमानो को भाव में पिरोती ये ज़िन्दगी....
ना जाने कुछ लम्हों से तन्हा है ज़िन्दगी...
पत्ते गिरते हैं फूल मुरझाते हैं.....
मौसम बदलते है रुखस नए होते हैं...
फिर फिजा में बहार आती है और
हरियाली चुपके से मुस्काती है....
फिर ना जाने क्यों सुनसान राहों पे वीरान रातों में
अकेलेपन का साज़ गाती है ये ज़िन्दगी..
ना जाने किन अरमानो के लिए बेताब है ज़िन्दगी...
लोग बदलेंगे ये समां बदल जायेगा..
यादें बनेगी और दर्द बढता जायेगा....
किसी के इंतज़ार में, अपने यार में, किसी के प्यार में, दर्द समेटे
आंसू बहाते, फिर भी मुस्कुराते हुए, गीत गाते हुए..खुदी से छिपाते हुए..
हमारी अपनी तन्हा ज़िन्दगी...
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