वो बचपन क़ि यादें
वो चिड़ियों क़ि चह चहचाहट
वो बागियों क़ि बहारें ....
भौंरों क़ि भिनभिनाहट
फूलों क़ि बयारें
वो तितलियों क़ि कतारें
उन्हें पकड़ने को उतावला मेरा मन
आसमान में उड़ने को लालायित मेरा मन..
वो नदियाँ और झरने
और उनकी मद्धम फुहारें
वो हलकी सी बारिश में फुदकता मेरा मन
कश्तियों और करवटों में संवरता बचपन
बहुत याद आती हैं वो बचपन क़ि यादें
वो भरी दुपहरी में घरौंदे बनाना...
उन मिट्टी के ढांचो में इरादों को समोना..
उन सुनहरे पलों को रंगों से संजोना..
वो दादी क़ि किस्से और कहानियां
और दादा के हुक्के क़ि रवानियाँ...
वो काली रातों में तारों का टिमटिमाना...
उन क़ि धुंधली रोशनी में जुगनूं का जगमगाना..
वो सुनहरी बातें और आंगन में गुजारी रातें.
बहुत याद आती है वो बचपन क़ि यादें
मेरे स्वर्गीय दादू एंड मेरी जीवंत प्रेरणा श्रोत दादीजी को समर्पित .... file:///D:/Users/Umesh's%20LOVE/Downloads/bouquet.jpg
ReplyDeleteमेरे पिताजी और माताजी जिन्होंने मुझे इतना खूबसूरत बचपन दिया वो सब कुछ दिया जो मैंने चाहा और मुझे इस काबिल बनाया की जो मै जो भी हूँ.......उनके ही फस्लोकरम का सिला है......
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